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इश्क़ में एक और मौत

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सारांश इश्क़ का परिणाम किसी के लिए सुखद होता हैं तो किसी के लिए दुःखद होता तो कोई सिर्फ राधा की तरह इश्क़ करता हैं... इस कहानी की शुरुआत एक यंग लडके सें होती हैं जो जवानी के दौर में अपने सपने साकार करने मुंबई की फ़िल्म इंडस्ट्री में जाता हैं काफ़ी स्ट्रेगल के बाद उसे फ़िल्म इंडस्ट्री की नामचीन हीरोइन के प्रोडक्शन हॉउस में असोसिएट डाइरेक्टर की नौकरी मिल जाती हैं और फिर इश्क़ की कहानी की शुरुआत होती हैं इस कहानी में कैसे होता हैं इश्क़ का इज़हार और क्यों होती हैं तकरार... अंत में लडके को हीरोइन की चिता क्यों जलानी पड़ती हैं कैसे इश्क़ की मौत होती हैं इन्ही सब बातों को जानने के लिए पढ़िए शब्द.In पर इश्क़ में एक और मौत...! में.. 🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️ # इश्क़ में एक और मौत मैने मेकअप रूम के दरवाजे को नॉक किया था, कि तभी अंदर से लीना मेम की आवाज़ आई.... कौन हैं....? मेम मैं सुमित.... आपको सीन समझाने आया हूं मेम.... ! ओह सुमित अंदर आ जाओ डोर खुला हैं... जी मेम.... इतना कहते ही मै दरवाजे को धकेलता हुआ अंदर दाखिल हो गया था... रूम तक पहुंचने के लिए एक 5×3 की गैलरी थी जिसके आगे चल

निम्मो

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निम्मो... निम्मो.... अरे कहां मर गई कमब्खत मारी.. निम्मो- जी आई अम्मी... और निम्मो अपने सिर को दुपट्टे से ढकते हुए दौड़ती सी बैठक बाले कमरे की तरफ आती है. उनके पास मौलवी को देख उसके कदम ठिठक से जाते है अम्मी के पास बैठा 50 साल का खाने वाली निगाहों से मौलवी निम्मो को देख रहा है. अम्मी - अब इतनी दूर क्यों ख़डी हो गई.. इधर आ निम्मो- हम यहीं ठीक है अम्मी.. ! अम्मी- क्या तुझें पता नहीं है के आज महीने की आख़िरी जुमे रात है आज उतारा होना है निम्मो चुप चाप अपनी नज़रे ज़मीन में गढ़ाए ख़डी रहती है. और मन ही मन सोचने लगती है आज फिर इस दरिंदे के आगोश में जाना जाना पड़ेगा.. या अल्ला आप मेरी बात क्यों नहीं सुनते... क्या तुम इसके कुकर्मो से वाकिफ नहीं हो...मैंने तो सुना था तुम सब देखते हो फिर मुझ पर हो रहा ये ज़ुल्म तुम्हे क्यों दिखाई क्यों  नहीं दे रहा... मौलवी- आपा हमने आपको कितना समझाया है के दो -चार बार के उतारे से कुछ नहीं होगा इल्म की दौलत को हक्कीकत में तब्दील करने के लिए जिन्नाद को मनाना पड़ता है हुस्न के जिस्म को उसके आगोश में परोसना होता है आपा अब आपको हम क्या बताये खुशी की बात ये है आपा

अब लौट चलूं

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अब लौट चलू अब लौट चलु....! आज मुझें ऐसा लग रहा था कि मैं सच में आजाद हूं, सारी दुनियां आज पहली बार मुझें नई लग रहीं थी....सब कुछ नया सुकून से भरा.... गर्त के अंधेरे को चीर कर मेरे कदम नए उजाले की ओर अनयास ही बढ़ चुके थे....ठीक उसी तरह जब मैं मनु के साथ अपना घर छोड़ कर नई जिंदगी की शुरूआत करने के लिए उस नये शहर में आ बसी थी....शायद मनु ही मेरा सच्चा प्यार था... उसने हर पल की खिशियां मेरी झोली में उड़ेली थी, आज भी उसके शब्द मेरे कानों में गूंजते हैं..... क्या हुआ जान तुम इतनी मायूश क्यों हों.....? इतना सोचते ही मेरे शरीर में अजीब सी सिरहन दौंड़ पड़ी थी....एक पल तो ऐसा लगा मानों मनु ने अभी-अभी मेरे कानों में आकर कहा हो....लेकिन आज मेरे जीबन में अनसुल्झा सा मोड़ था.... जब मैंने मनु और अपने छोटे से 2 साल के बेटे अभिषेक रोता छोड़ रवि के साथ अपने प्यार की नई जिंदगी की शुरूआत करने 35 साल पहले उनसे दूर जा चुकी थी..... इन 35 सालों के दौरान मैनें ये नहीं जाना था कि सच्चा प्यार क्या हैं...शायद मैं भटक गयी थी यही सोच कर के मनु मेरे लिए सिर्फ एक दिखावा हैं लेकिन मैं गलत थी मेरी सोच और मे

एक और मौत

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एक और मौत  रुपहले पर्दे के पीछे का सच  मैने मेकअप रूम के दरवाजे को नॉक किया था, कि तभी अंदर से लीना मेम की आवाज़ आई....  कौन हैं....?  मेम मै सुमित.... आपको स्क्रिप्ट देने आया हूं मेम.... ! ओह सुमित अंदर आ जाओ डोर खुला हैं...  जी मेम.... इतना कहते ही मै दरवाजे को धकेलता हुआ अंदर दाखिल हो गया था... रूम तक पहुंचने के लिए एक 5×3 की गैलरी थी जिसके आगे चल कर 10×10 का रूम था.. मै तेज़ क़दमों से जैसे ही अंदर पहुंचा तो ड्रेसिंग टेबल के आईने के सामने चेयर पर लीना मेम अपने चेहरे पर फाउंडेशन ब्रश के सहारे  कर रही थी.... उनके शरीर पर कोई भी कपड़ा नहीं था ड्रेसिंग आईने के चारो तरफ लगी दूधिया लाइटों की रौशनी मै उनका शरीर बेहद दमक रहा था.... जो सामने आईने मै साफ दिखाई दें रहा था... उन्हें इस हालत मे देख मै दंग रह गया और मै बाहर जाने को फ़ौरन पलटा ही था....  रुको..... !  उनके आदेश भरे शब्दो को सुन कर मेरे कदम ठिठक गए थे....  क्या हुआ...?  जी कुछ नहीं में बाद में आता हूं.  इधर आओ.... उन्होंने कड़े लहज़े में मुझें आदेश दिया था... वो इस फ़िल्म की हीरोइन के साथ -साथ प्रोडूसर भी थी.... जिनका आदेश मै टा

वेलेंटाइन डे..!

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हैप्पी वेलेंटाइन डे ऐसा कुछ नहीं हैं, मैं सिर्फ इतना ही जानती हूं  कि वो मेरा  बिता हुआ कल था... ठीक हैं जवानी के जोश में प्यार कर लिया उसकी ज़िन्दगी में हादसा होना था हो गया... लेकिन अब मैं उसे भूल चुकी हूं. रीटा ने नेहा से झुंझलाह भरे शब्दों मे कहां था. नेहा- ये कैसी बातें कर रही हैं रीटा तूँ... पिछले 3 साल तुम लोगों ने एक दूसरे को प्यार करके निकाले हैं आज वो अपनी आंखे खो चुका हैं तो तूँ इतना बदल जायेगी ये मैंने सोचा नहीं था... मैं तो तुझसे इतना कहने आयी थी आज पूरे एक साल होने को हैं आज ही के दिन उसका एक्सीडेंट हुआ था... उस वक़्त तू भी उसके साथ ही थी... देख वो आज भी तेरा इंतज़ार कर रहा हैं... आज वेलेंटाइन डे हैं कम से कम आज तो उसे विष कर दें...? रीटा- देख नेहा अब बहुत हुआ... मैं इस बारे में अब कुछ नहीं सुनना चाहती मैं अच्छे से जानती हूं मुझे मेरी ज़िन्दगी कैसे जीना हैं... उस अंधे का बोझ मैं ज़िन्दगी भर नहीं ढो सकती मेरी भी ख्वाहिशे हैं... मेरी भी आशाए हैं... नेहा- मतलब तुझे उससे प्यार नहीं हुआ था..? रीटा- जवानी के जोश में भटक गई थी और गलती कर बैठी थी... अगर तुझे इतनी हमदर्दी ह