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इश्क़ में एक और मौत

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सारांश इश्क़ का परिणाम किसी के लिए सुखद होता हैं तो किसी के लिए दुःखद होता तो कोई सिर्फ राधा की तरह इश्क़ करता हैं... इस कहानी की शुरुआत एक यंग लडके सें होती हैं जो जवानी के दौर में अपने सपने साकार करने मुंबई की फ़िल्म इंडस्ट्री में जाता हैं काफ़ी स्ट्रेगल के बाद उसे फ़िल्म इंडस्ट्री की नामचीन हीरोइन के प्रोडक्शन हॉउस में असोसिएट डाइरेक्टर की नौकरी मिल जाती हैं और फिर इश्क़ की कहानी की शुरुआत होती हैं इस कहानी में कैसे होता हैं इश्क़ का इज़हार और क्यों होती हैं तकरार... अंत में लडके को हीरोइन की चिता क्यों जलानी पड़ती हैं कैसे इश्क़ की मौत होती हैं इन्ही सब बातों को जानने के लिए पढ़िए शब्द.In पर इश्क़ में एक और मौत...! में.. 🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️🅰️ # इश्क़ में एक और मौत मैने मेकअप रूम के दरवाजे को नॉक किया था, कि तभी अंदर से लीना मेम की आवाज़ आई.... कौन हैं....? मेम मैं सुमित.... आपको सीन समझाने आया हूं मेम.... ! ओह सुमित अंदर आ जाओ डोर खुला हैं... जी मेम.... इतना कहते ही मै दरवाजे को धकेलता हुआ अंदर दाखिल हो गया था... रूम तक पहुंचने के लिए एक 5×3 की गैलरी थी जिसके आगे चल

सम्राट अशोक का वेराग्य

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   सम्राट अशोक का वैराग्य (लघु नाटिका ) जैसा कि आप सभी सम्राट अशोक के बारे में जानते ही हैं.. उनके जीवन काल में काफ़ी कुछ घटित हुआ था.. सम्राट अशोक एक महान योद्धा थे उनका साम्राज्य काफ़ी विशाल था.. फिर उनके जीवन में ऐसा क्या हुआ कि उन्हें वेराग्य को अपनाना पड़ा इस लघु नटिका सम्राट के उस पहलू को दर्शाया गया हैं साथ ही मेरा उद्देश्य ये भी हैं कि कहानी को नाटक के रूप में कैसे लिखी जाती हैं जिससे नए लेखक जो नाटक आदि में रूचि रखते हैं उन्हें ये पता चल सके... तो चलिए शुरू करते हैं लघु नाटिका..... दृश्य - 1 आर्टिस्ट- सम्राट अशोक स्टेज पर अंधेरा हैं.... स्टेज के बेक ड्राप पर अशोक चिन्ह की आकृति एक मध्यम धुन के साथ उभारती हैं.... और उसके साथ एक मेल वॉइस चलती हैं... V/O- विश्व के इतिहास में सम्राट अशोक का नाम हमेशा से ही शीर्ष पर लिया जाता हैं... जो भारत की भूमि के साम्राज्य का सच्चा समर्थक था... जो अपने साम्राज्य के विस्तार और शान्ति के लिए हमेशा ततपर्य रहता था... सम्राट अशोक ने अपने जीवन काल में अनेको युद्ध लड़े... नेपथ्य का स्वर और संगीत का विश्राम होता हैं... स्टेज पर घुप्प अंधेरा हो

OTT कैसे शुरू करें पार्ट -2

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OTT कैसे शुरू करें...?  ये जरूरी नहीं कि आप इसे मनोरंजन तक ही सिमित रखें आप चाहे तो निम्नलिखित सेवाओं से भी अपना OTT लॉन्च कर सकते हैं.. और इन से भी लाभ कमा सकते हैं ये ऐसे चार उदाहरण हैं जहां निर्माता अपनी ओटीटी सेवाओं में  भारी वृद्धि देखते हैं और, यदि आप इनमें से किसी एक में भी रूचि रखते हैं, तो आप बड़े फायदे भी देख सकते हैं... 1. फिटनेस क्या आप फ़िटनेस वीडियो बनाते हैं जिन्हें लोग डिवाइस पर डाउनलोड कर सकते हैं, या टीवी के सामने प्रदर्शन कर सकते हैं? इसके लिए बहुत बड़ा बाजार है....जिसमें ग्राहक अपने पसंदीदा, भरोसेमंद, ऑनलाइन प्रशिक्षकों द्वारा बनाए गए इन पाठ्यक्रमों और उत्पादों के लिए अपनी जिम सदस्यता, या व्यक्तिगत प्रशिक्षण के लिए आतुर हों जाता हैं  2. शिक्षा क्या आप अपने ऑनलाइन वीडियो पाठ्यक्रमों के माध्यम से लोगों को कौशल सीखने में मदद करते हैं? ओटीटी सेवाएं डाउनलोड करने योग्य वीडियो और शिक्षण सामग्री के साथ व्यापक पाठ्यक्रम बनाने में आपकी मदद कर सकती हैं। 3. योग: क्या आप लोगों को योग सीखने में मदद करने के लिए वीडियो या पाठ्यक्रम बनाते हैं? यदि हां, तो ओटीटी सेवाएं छा

OTT कैसे शुरू करें..? पार्ट -1

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OTT क्या हैं और इसे कैसे शुरू करें फोटो गूगल से आभार क्या आपके भी मन में OTT को लेकर सवाल हैं... तो निश्चय ही आपको लग भग OTT के जवाब यहां मिल जाएंगे...आइए जानते हैं OTT के बारे में  अपनी पहली लाभदायक ओटीटी सेवा कैसे शुरू करें -? आज के ज़माने में इलेक्ट्रोनिक मिडिया का बेहद विस्तार हों चुका हैं ये अब 80-90 दसक का ज़माना नहीं रहा कि जब हम सिनेमा हाल में या अपने टीवी के सामने बैठ कर मनोरंजन किया करते थे... तो आइए शुरुआत करें: अपनी खुद की ओटीटी सेवा शुरू करना संभव अब नहीं हैं बल्कि आसान है... हम देख रहें हैं अरबों करोड़ो के बजट वाली बड़ी बड़ी कम्पनियां, निर्माता और कलाकार अपने अपने OTT पर मनोरंजन को बेचने का व्यवसाय कर रहें हैं.. शायद आपको लग रहा होगा कि इस करोड़ो रुपय वाले व्यवसाय में आम जन की क्या रूचि होंगी लेकिन ये ऐसा हैं नहीं इस OTT को आप अकेले या ग्रुप बनाकर या किसी के साथ साझेदारी में कर सकते हैं.. यहां INTERNET पर दुनियां जहां की जानकारियां उपलब्ध होती हैं जिनके सहारे से हम अपने स्टार्टअप की शुरुआत कर सकते हैं.. हम हर दिन हम देखते हैं कि सामग्री निर्माता अपने राजस्व और दर्शक

माय कोट्स

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कैसे लिखें...?

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किताब कैसे लिखें? यह विचार जब आपके मन में आए उससे पहले आपको किताब लिखने से जुड़े कई और भी जरूरी विचारों पर गौर करना बेहद आवश्यक होता है।  किताब कैसे लिखे?|  किताब लिखने से पहले इन सवालों पर विचार करें   किताब क्यों लिखना चाहते हैं? क्या किताब लिख कर ज्यादा पैसा कमाया जा सकता है? क्या किताब लिखने से प्रसिद्धि हासिल कर सकते हैं? क्या आप एक किताब लिख सकते हैं? आप किस विषय पर किताब लिख सकते हैं? एक सफल किताब कैसे लिखते हैं? एक किताब का लिखना कितना मुश्किल और आसान हो सकता है यह आपकी लेखन कला में पारंगत निर्धारित करता है... यह बेहद आसान कार्य है और आपको पता भी नहीं चलता कि कब आपने एक किताब लिख ली..यह उनके साथ होता है जो लिखते के साथ साथ उसी में जीते हैं... उन्हें पता नहीं चलता वह लिख रहे थे या अपने विचारों की नाव में सवार हैं... किताब को लिखना उतना ही मुश्किल उन के लिए है जिन्हें इसके लिए सोचना पड़ता है और काफी जोर लगाकर भी वह एक किताब को पूरा करने के निकट नहीं पहुँचते यह कोई कार्य नहीं है... इसका कोई लक्ष्य नहीं है किताब लिखना एक सफर है.. जो कभी खत्म होने वाला नहीं है..  एक समर

कॉपी राइट

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कॉपीराइट की मूल बातें कॉपीराइट एक बहुत ही विशाल और जटिल क्षेत्र है। नीचे आपको कॉपीराइट के बारे में सबसे सामान्य प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे ।  कॉपीराइट क्या है? कॉपीराइट एक कानूनी अवधारणा है जो मूल कार्य के लेखक या निर्माता को उस मूल काम के साथ कुछ चीजें करने का विशेष अधिकार देता है। कॉपीराइट धारक को चुनने का अधिकार है कि क्या कोई अन्य उसके काम का उपयोग, अनुकूलन या पुनर्विक्रय कर सकता है और उस कार्य के लिए श्रेय पाने का अधिकार रखता है।  कॉपीराइट संरक्षण मुख्यतः उन कार्यों को दिया जाता है जो साहित्यिक, नाटकीय, कलात्मक और संगीत कार्य, सिनेमेटोग्राफ़ फिल्म और टेलीविजन और ध्वनि प्रसारण हैं। केवल एक काम का कॉपीराइट धारक ही इन चीज़ो को कर सकता है:     काम की प्रतियां बनाएँ और इसे वितरित करें।     व्युत्पन्न कार्य बनाएं या काम को बदल दें।     कार्य को मूल संस्करण में या एक परिवर्तित रूप में बेचें। एक काम का निर्माता इसे कॉपीराइट बनाये रखता है भले ही वे आपको ऐसा स्पष्ट रूप से नहीं बताता हैं   कॉपीराइट का कौन मालिक है? सामान्य नियम यह है कि:     काम के लेखक या निर्माता, काम में कॉपीराइ

भारत का अखंड इतिहास (भाग-3)

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साढ़े चार बजने को थे...घर पहुंचते ही मैंने जल्दी जल्दी हाथ मुंह धोए और खाना खा कर दिमाग़ में उठ रहें ख्यालों को कागज़ पर लिखने लगा था.. आपको बता दूं यहां से मेरे लिखने की शुरुआत हों चुकी थी.. जो मेरे लिए एक बेहद चुनौती पूर्ण होने वाला था... लेकिन मेरे हौसले उन साहित्यकारों और लेखकों के बारे में पढ़ के मजबूत थे जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में धैर्य नहीं खोया और अपनी लेखनी का लोहा मनवाया लेकिन ये बात भी मैं जान चुका था कि भारत के मूल इतिहास को क्यों दवाया गया... स्वाभिकता तो ये भी थी कि हम भारतीय होकर भी भारत के प्रति इतने निराशावान क्यों होते जा रहें थे.. हम अपनी मूल संस्कृति के संस्कारों को हम हिन्दू क्यों छोड़ते जा रहें थे.. मैंने निर्णय कर लिया था कि अब मुझे अपने भारत की विशाल तस्वीरों को मुझे शब्दों के माध्यम से प्रदर्शित करना ही होगा जिसके लिए मैं रोज कॉलेज से आकर  घंटो अपने कमरे में बैठ कर लिखने में व्यतीत करने लगा था.. मेरे इस रवइये से पापा भी कुछ परेशान से होंने लगें थे शायद उन्हें ऐसा लगा रहा था.. कि मैं ज़वानी के इस दौर में कही भटक तो नहीं रहा.. इन्ही सब बातों को

अतीत का अखंड भारत (भाग-2)

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वो कल का कॉलेज का दिन मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहा एक ऐसे शिक्षक को पाकर मेरे अँधेरे मन के कोने में वो रौशनी दिखाई देने लगी थी जिसकी मुझे तलाश थी लेकिन तलाश के साथ साथ मन में काफ़ी सारे प्रश्न कौधने लगें थे उस रात मैं चैन से सो भी नहीं पाया था कुछ सवाल मेरे दिमाग में घर कर रहें थे जो मेरे धर्म की नीव के इतिहास से जुड़े हुए थे.. आखिर हमारे हिन्द के पूर्वजों का इतिहास क्या था... उन्होंने भारत को इतना महान कैसे बनाया क्या देव देवी इस पृथ्वी पर सही में थे... थे तो वो कैसे थे उस समय का हिन्दू कैसा था क्या हम उन्ही की संतान हैं... उन्होंने ग्रहो और नक्षत्रों की गड़ना कैसे की आदि आदि के प्रश्नों में मेरा मन उलझता रहा और सुबह कब हुई और कब मुझे नींद नेअपने आगोश घेर लिया मुझे पता ही नहीं चला था...शायद ये मेरे मन और सोच के प्रति नया परिवर्तन था जिसे हर सामान्य इंसान इसे समझने से कोसो दूर था... ये बात सही हैं समय के साथ साथ इंसान कितना बदलता गया क्या ये बदलाब बुरा था या सही ये तो मुझे पता नहीं था पर इतना ज़रूर पता था कि हम ज़माने के इस बदलाव में काफी कुछ पीछे छोड़ कर भूलते जा रहें हैं...

आओ चमचागीरी सीखें

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"आओ चमचागीरी सीखें " कसम है उन चम्चगीरों की जिन्होने पूरे देश के कर्मठ लोगों को अपना पालतू बना रखा है...बगैर चमचों के बड़ा आदमी इनके बगैर दिशा हीन है....एक चम्मचें ही है जो उन्हे राह दिखाते है....बगैर चमचों के चश्में से वे दुनिया नहीं देख पाते तभी तो बड़ी-बड़ी डिग्रीधारी उनके आगे धूल झाड़ते घूमते है....अब घूमें भी क्यो ना ऐसो ने अपना आधा जीवन तो डिग्रियां लेने में ही लगा दिया...काश हमने भी आज इस महारथ को पाने के लिए किसी गुरू को तलास लिया होता तो आज हमें चम्मचों की चमचागीरी नहीं करनी करनी पड़ रही होती......! हमारे बाप दादो ने कभी चमचागीरी नहीं की और ना ही करवाई लेकिन जमाने के साथ चमचागीरी का युग कब हावी होता गया ये हमें पता ही नहीं चला, जब दाल रोटी की जुगाड़ में अपनी डिग्रीयों के बल पर हम जब घर से बाहर निकले तो नौकरी की तलास में 5-6 वर्ष कैसे खिसक गये ये हम जान ही ना पाए....जहां भी नौकरी लगती 6-7 माह से ज्यादा टिक ही नहीं पाते ज्यादा से ज्यादा एक साल लेकिन हमे नौकरी में कहीं भी स्थाईपन नसीब ना हो सका....और इसी भेड़ धुन में हम ओवर ऐज की सीमा भी पार कर चुके थे....हम

अब लौट चलें

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   अब लौट चलें  आज मुझें ऐसा लग रहा था कि मैं सच में आजाद हूं, सारी दुनियां आज पहली बार मुझें नई लग रहीं थी....सब कुछ नया सुकून से भरा.... गर्त के अंधेरे को चीर कर मेरे कदम नए उजाले की ओर अनयास ही बढ़ चुके थे....ठीक उसी तरह जब मैं मनु के साथ अपना घर छोड़ कर नई जिंदगी की शुरूआत करने के लिए उस नये शहर में आ बसी थी....शायद मनु ही मेरा सच्चा प्यार था... उसने हर पल की खिशियां मेरी झोली में उड़ेली थी, आज भी उसके शब्द मेरे कानों में गूंजते हैं..... क्या हुआ जान तुम इतनी मायूश क्यों हों.....? इतना सोचते ही मेरे शरीर में अजीब सी सिरहन दौंड़ पड़ी थी....एक पल तो ऐसा लगा मानों मनु ने अभी-अभी मेरे कानों में आकर कहा हो....लेकिन आज मेरे जीबन में अनसुल्झा सा मोड़ था.... जब मैंने मनु और अपने छोटे से 2 साल के बेटे अभिषेक रोता छोड़ रवि के साथ अपने प्यार की नई जिंदगी की शुरूआत करने 35 साल पहले उनसे दूर जा चुकी थी..... इन 35 सालों के दौरान मैनें ये नहीं जाना था कि सच्चा प्यार क्या हैं...शायद मैं भटक गयी थी यही सोच कर के मनु मेरे लिए सिर्फ एक दिखावा हैं लेकिन मैं गलत थी मेरी सोच और मेरा निर्णय उ